Swami Vivekanand | Yuva Diwas – स्वामी विवेकानंद जी के जन्मदिवस युवा दिवस के उपलक्ष्य में 12 जनवरी 2024 को सामूहिक सूर्य नमस्कार का आयोजन। 1984 में भारत सरकार ने स्वामी विवेकानंद के जन्मदिन (12 जनवरी) को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाने का ऐलान किया था और 1985 से हर वर्ष विवेकानंद की जयंती को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। विवेकानंद एक सच्चे कर्मयोगी थे और उन्हें इस देश के युवाओं पर पूरा भरोसा था।
आध्यात्मिक विभूति और युवा प्रतीक, स्वामी विवेकानन्द पीढ़ियों को प्रेरित करते रहते हैं। जैसा कि हम उनकी जयंती मनाते हैं, जिसे स्वामी विवेकानंद जयंती या युवा दिवस के रूप में जाना जाता है, उनके जीवन और शिक्षाओं के बारे में जानना महत्वपूर्ण है।
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यादगार भाषण –
विवेकानंद को 1893 में अमेरिका के शिकागो में हुई विश्व धर्म संसद में दिए गए उनके भाषण की वजह से सबसे ज्यादा याद किया जाता है। दुनिया भर के धार्मिक नेताओं की मौजूदगी में जब विवेकानंद ने, ”अमेरिकी बहनों और भाइयों” के साथ जो संबोधन शुरू किया तो आर्ट इंस्टीट्यूट ऑफ शिकागो में कई मिनट तक तालियां बजती रहीं। इस धर्म संसद में उन्होंने जिस अंदाज में हिंदू धर्म का परिचय दुनिया से कराया, उससे वे पूरे विश्व में प्रसिद्ध हो गए।
विवेकानंद के गुरु
स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता (अब कोलकाता) में हुआ था। स्वामी विवेकानंद का बचपन का नाम नरेंद्र नाथ दत्त था। बचपन से ही उनका झुकाव आध्यात्म की ओर था। 1881 में विवेकानंद की मुलाकात रामकृष्ण परमहंस से हुई और वही उनके गुरु बन गए। अपने गुरु रामकृष्ण से प्रभावित होकर उन्होंने 25 साल की उम्र में संन्यास ले लिया। संन्यास लेने के बाद उनका नाम स्वामी विवेकानंद पड़ा। 1886 में रामकृष्ण परमहंस का निधन हो गया था। स्वामी विवेकानंद ने 1897 में कोलकाता में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी। इसके एक साल बाद उन्होंने गंगा नदी के किनारे बेलूर में रामकृष्ण मठ की स्थापना की। 04 जुलाई 1902 को महज 39 वर्ष की अल्पायु में विवेकानंद का बेलूर मठ में निधन हो गया था।
स्वामी विवेकानन्द की विरासत:
12 जनवरी, 1863 को कोलकाता में जन्मे स्वामी विवेकानन्द वेदांत और योग के भारतीय दर्शन को पश्चिमी दुनिया से परिचित कराने वाले एक प्रमुख व्यक्ति थे। 1893 में शिकागो में विश्व धर्म संसद में उनका प्रतिष्ठित भाषण एक ऐतिहासिक क्षण था, जिसमें भारत की समृद्ध आध्यात्मिक विरासत का प्रदर्शन हुआ।
प्रेरणादायक शिक्षाएँ –
स्वामी विवेकानन्द ने आत्म-बोध, निडरता और मानवता की सेवा के महत्व पर जोर दिया। उनकी शिक्षाएँ युवाओं को प्रभावित करती हैं, उन्हें अपनी क्षमता का दोहन करने और समाज में सकारात्मक योगदान देने के लिए प्रोत्साहित करती हैं।