Induction Training – लोक शिक्षण संचालनालय मध्यप्रदेश भोपाल के पत्र क्रमांक समग्र 265/2022/1550 भोपाल दिनांक 26 07/ 2022 के द्वारा जिले के समस्त नवनियुक्त माध्यमिक शिक्षक तथा उच्‍च माध्‍यमिक शिक्षक का प्रेरण प्रशिक्षण Induction Training Programme संस्था जिला शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान जिला – छिंदवाडा में निर्धारित तिथियों में आयोजित किया जा रहा है।

BatchTraining DateNumber of TeachersTime
Ist Batch02 Aug to 06 Aug 202215009:30 to 05:00 PM
2nd Batch22 Aug to 26 Aug 202215209:30 to 05:00 PM
3rd Batch29 Aug to 02 Sep 202213609:30 to 05:00 PM

नवनियुुुक्त शिक्षक प्रशिक्षण विषय सामग्री-

विद्यालय एक ऐसा विस्तृत शब्द है जिसका कोई एक अर्थ या परिभाषा देना सम्भव नहीं है, क्योंकि इसमें इतनी वस्तुओं का समावेश होता है कि इसकी प्रकृति और स्थिति का चुनाव सरल ढंग से सम्भव नहीं है आज की शैक्षिक आवश्यकताएँ प्राचीनकाल से बहुत भिन्न हैं। आज हर विषय क्रिया-प्रधान हो गया है। किसी विद्यालय के लिए भवन का होना अत्यन्त आवश्यक है। विद्यालय भवन और उसका वातावरण शैक्षिक पर्यावरण में गति लाता है। विद्यालय में प्रवेश करने वाले व्यक्ति के हृदय में विद्यालय की ध्वनि सुन्दर उभरकर आती है। विद्यालय-भवन के अन्तर्गत विद्यालय की इमारत, खेल का मैदान, पुस्तकालय, फीचर उपकरण आदि सभी शामिल होते हैं. ये सभी विद्यालय संचालन में  करते हैं। देश के अधिकांश विद्यालय मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करने में असमर्थ हैं। विद्यालय-भवन अत्यन्त जर्जर अवस्था में है। खेल के मैदान नहीं हैं, कक्ष इतने छोटे हैं कि पर्याप्त संख्या में छात्र बैठ भी नहीं सकते हैं, छात्रों के लिए पेयजल आदि की व्यवस्था भी नहीं है। विद्यालय का वातावरण भी शिक्षा योग्य नहीं है, अधिकांश विद्यालय घनी बस्ती के मध्य तैयार किये गये हैं, जिनसे शिक्षा हेतु उचित वातावरण का निर्माण होने में कठिनाई आती है।

जिला शिक्षा अधिकारी महोदय नवनियुक्‍त शिक्षकों काे मार्गदर्शन देते हुुए ।
जिलें के एडीपीसी द्वारा नवनियुक्‍त शिक्षकों को उदबाेेधन एवं मार्गदर्शन

विद्यालय-भवन का निर्माण करते समय ध्यान रखी जाने वाली सावधानियाँ

  • विद्यालय-भवन ऐसे स्थान पर बनाया जाये, जहाँ आवागमन की पूर्ण सुविधा हो।
  • विद्यालय-भवन की स्थापना बस-स्टैण्ड, मण्डी, रेलने स्टेशन, कोई बड़ा कारखाना आदि के निकट नहीं की जानी चाहिए।
  • शिक्षाविद् रायबर्न का मत है कि-“विद्यालय का स्थल सड़क के निकट होना चाहिए, किन्तु यथासम्भव सड़क से हटकर भी होना चाहिए।
  • प्रारम्भ से ही विद्यालय-भवन का निर्माण इतनी भूमि पर किया जाना चाहिए कि वहाँ खेल का मैदान अवश्य निकल आये।
  • विद्यालय-भवन के निर्माण के समय उसमें भविष्य में किये जाने वाले परिवर्तनों की दृष्टि से भी ध्यान दिया जाना आवश्यक है, अर्थात् स्थान का सही उपयोग करते हुए भविष्य में होने वाली वृद्धि के लिए कुछ स्थान छोड़ देना चाहिए।

नवनियुक्‍त शिक्षकों का प्रशिक्षण कार्यक्रम- एक झलक

प्रथम बैच – 02 अगस्‍त से 06 अगस्‍त

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एक अच्छे विद्यालय-भवन की विशेषताएँ

(1) स्थान की पर्याप्तता- जब किसी विद्यालय के भवन का निर्माण किया जाये, तो इस तथ्य की ओर ध्यान दिया जाना आवश्यक है कि विद्यालय में किस कक्षा तक अध्ययन कार्य होगा? कक्षाओं के विभागों की संख्या कितनी होगी? छात्र संख्या लगभग कितनी होगी? पाठ्यक्रम सहगामी क्रियाओं की व्यवस्था किस प्रकार की होगी? इन्हीं सब तथ्यों के आधार पर ‘स्थान की उपलब्धता का प्रयास करना चाहिए, जिससे पर्याप्त स्थान विद्यालय के पास हो।

(2) भवन परियोजना में नव्यता– विद्यालय-भवन का निर्माण करते समय उसकी परियोजना इस प्रकार की होनी चाहिए, जिससे उसमें यथासम्भव आवश्यकतानुसार फेरबदल किया जा सके। इससे भविष्य की योजनाओं हेतु समुचित स्थान प्राप्त हो सकेगा।
(3) सहयोगी दृष्टिकोण- विद्यालय-भवन में भौतिक सुख-सुविधाओं के साथ-साथ भावात्मक एकता तथा सहयोगी दृष्टिकोण होना भी आवश्यक है।

(4) आकर्षण- विद्यालय-भवन आकर्षक भी होना चाहिए। इसके लिए किसी अच्छे वास्तुकार से विद्यालय-भवन का नक्शा बनाकर उसी आधार पर भवन निर्माण करना चाहिए।
(5) समस्त आवश्यक सुविधाओं को होना– विद्यालय-भवन में समस्त आवश्यक सुविधाएँ, जैसे-खेल का मैदान, प्रकाश की व्यवस्था, बिजली, पानी, प्रसाधन की व्यवस्था, कॉमन रूम की व्यवस्था आदि होनी चाहिए।

(6) आदर्श विद्यालय की अपनी आदर्श आर्थिक नीतियाँ होनी चाहिए।उनमें मितव्ययिता का सिद्धान्त लागू होना चाहिए।
(7) विद्यालय भवन के निर्माण की योजना एक बार में ही तैयारी कर लेनी चाहिए जिससे उपलब्ध आर्थिक साधनों का उपयोग भली-भाँति हो जाये।

नवनियुक्‍त शिक्षकों के लिए पाठय सामग्री-