कला उत्सव – एक विरासत -: स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार की वर्ष 2015 से एक ऐसी पहल है जिसका उद्देश्य माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों की कलात्मक प्रतिभा को पहचानना, उसे घोषित करना, प्रस्तुत करना और शिक्षा में कला को बढ़ावा देना है।

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Kala Utsav 2022 – शिक्षा मंत्रालय माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों में सौंदर्य बोध और कलात्मक अनुभवों की आवश्यकता और इसके द्वारा विद्यार्थियों में भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और विधि विविधता का ज्ञान प्रदान करने को मान्यता देता रहा है। कला शिक्षा, संगीत, नाटक, नृत्य, दृश्य कलाओं एवं ललित कलाओं के संदर्भ में की जा रही यह पहल राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 की अनुशंसा पर आधारित है। कला उत्सव का आरंभ वर्ष 2015 में हुआ था यह स्कूलों में कलाओं के उत्सव की पहल जो प्रत्येक वर्ष आयोजित हो रही है जिला/ राज्‍य/ राष्ट्रीय स्तर पर कला उत्सव की संरचना इस प्रकार की गई है जिसमें कला प्रस्तुतियां एवं प्रदर्शनी सम्मिलित हैं। कला उत्सव की संरचनात्मक प्रक्रिया विद्यार्थियों को भारत की विभिन्न जीवंत एवं पारंपरिक कलाओं के अनुसंधान उन्हें समझने एवं उनके प्रस्तुतीकरण में सहायक होती हैं।

जिला स्‍तरीय कला उत्‍सव प्रतियोगिता की एक झलक

यह सब विद्यार्थियों में भारत की जिला और राज्य/ राष्ट्रीय/ सांस्कृतिक विरासत और उसकी जीवंत विविधता के प्रति जागरूकता लाने एवं उत्सव मनाने का मंच प्रदान करता है। यह तो ना केवल विद्यार्थियों में बल्कि उनसे जुड़े सभी व्यक्तियों में भी संस्कृति का प्रचार प्रसार करता है। भविष्य में यह उत्सव शिल्पकारों, कलाकारों और संस्थाओं को विद्यालयों के साथ जोड़ने में सहायता प्रदान करेगा।

कला उत्सव की परिकल्पना एक संबंधित मंच उपलब्ध कराने का प्रयास है। जहां सामान्य एवं दिव्यांग विद्यार्थी विशेष आवश्यकता वाले समूह विद्यार्थी, विषमता और विभिन्न आर्थिक सामाजिक पृष्ठभूमि से आने वाले विद्यार्थी एक साथ अपनी क्षमताओं का उत्सव मना सकें। उनकी प्रतिभा को पोषित करने एवं दिखाने हेतु उचित अवसर एवं अनुकूल वातावरण प्रदान करेगा। और सीखने एवम सिखाने की प्रक्रिया को और अधिक मूर्त, रचनात्मक एवं आनंददाई बनाएगा। सभी विद्यार्थियों सामान्य छात्र छात्राएं वंचित वर्ग से आए विद्यार्थी तथा दिव्यांग विद्यार्थियों द्वारा एक साथ मंच साझा करने से बहुत सी पूर्वगामी सामाजिक रूढ़ियां टूटेगी।