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गुरु पूर्णिमा 2023 – गुरू पूर्णिमा हिंदू धर्म में एक प्रमुख पर्व है जो गुरु की महिमा और महत्व को मान्यता देता है। यह त्योहार पूरे भारतवर्ष में उत्साह और धूमधाम के साथ मनाया जाता है। गुरू पूर्णिमा का उद्देश्य अपने गुरु के प्रति आभार व्यक्त करना और उनके प्रभावी मार्गदर्शन का सम्मान करना है।

गुरु पूर्णिमा का आध्यात्मिक महत्व

गुरू पूर्णिमा 2023। Guru Purnima 2023 आध्यात्मिकता में एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो छात्रों के आध्यात्मिक विकास और अभिवृद्धि को समर्पित है। इस त्योहार का आध्यात्मिक महत्व निम्नलिखित है:
  1. गुरु की महिमा और महत्व: गुरू पूर्णिमा एक अवसर है जब हम गुरु की महिमा का आदर्श और महत्व समझते हैं। गुरु हमारे जीवन में आध्यात्मिक मार्गदर्शन करते हैं और हमें सत्य, प्रेम, और प्रकाश की ओर आगे बढ़ाते हैं।
  2. आध्यात्मिक संबंध का महत्व: गुरु पूर्णिमा आध्यात्मिक संबंध के महत्व को प्रकट करता है। गुरु छात्र को आध्यात्मिक ज्ञान की ओर प्रेरित करते हैं और छात्र को ईश्वरीय अनुभव की ओर ले जाते हैं।
  3. ज्ञान के प्राप्ति का समर्पण: गुरू पूर्णिमा आध्यात्मिक ज्ञान के प्राप्ति का समर्पण करने का एक उत्कृष्ट अवसर है। छात्र गुरु के चरणों में बैठकर ज्ञान की प्राप्ति के लिए समर्पित होते हैं और आत्मिक उन्नति की प्राप्ति के लिए अपने गुरु के आदेशों का पालन करते हैं।
  4. साधना और मोक्ष की प्राप्ति: गुरु पूर्णिमा छात्रों के लिए साधना और मोक्ष की प्राप्ति का महान अवसर है। गुरु के मार्गदर्शन में, छात्र आत्म-अभिव्यक्ति, ध्यान, और आध्यात्मिक साधना के माध्यम से आत्मा की मुक्ति की ओर प्रगति करते हैं।

गुरू पूर्णिमा आध्यात्मिकता की महत्वपूर्ण प्रतीक है जो छात्रों को गुरु के आदर्शों, ज्ञान, और आत्मिक उन्नति के प्रतीक के रूप में प्रेरित करता है। यह एक दिवस है जब हम गुरु के प्रति अपना आभार व्यक्त करते हैं और आध्यात्मिक जीवन के मार्ग पर आगे बढ़ने का संकल्प लेते हैं।

गुरू पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है

गुरू पूर्णिमा एक महत्वपूर्ण हिंदी त्योहार है जो पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह त्योहार हर साल श्रावण मास के पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इसे गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाने के पीछे कई कारण हैं:

  1. गुरु शिष्य परंपरा का महत्व: गुरु पूर्णिमा का महत्वपूर्ण कारण है गुरु शिष्य परंपरा का सम्मान करना। इस दिन हम अपने गुरु को आभार व्यक्त करते हैं और उनके मार्गदर्शन का सम्मान करते हैं। यह हमें हमारी संस्कृति, धर्म, और परंपरा को जागृत करता है।
  2. ज्ञान की प्राप्ति का समर्पण: गुरू पूर्णिमा एक अवसर है जब हम अपने गुरु को ज्ञान की प्राप्ति के लिए समर्पित करते हैं। यह दिन हमें याद दिलाता है कि ज्ञान के प्राप्ति के लिए हमें गुरु की सेवा करनी चाहिए और उनके दिए गए मार्ग पर चलना चाहिए।
  3. आध्यात्मिक संबंध का महत्व: गुरू पूर्णिमा आध्यात्मिक संबंध के महत्व को प्रकट करता है। यह एक दिन है जब हम अपने आध्यात्मिक गुरु के प्रति अपना समर्पण प्रकट करते हैं और उनके मार्गदर्शन में अग्रसर होते हैं। इस दिन हम आत्म-विकास और मोक्ष के प्रति अपनी आग्रह को भी प्रकट करते हैं।
  4. गुरु के सम्मान में सार्वजनिक कार्यक्रम: गुरू पूर्णिमा एक दिन है जब गुरु के सम्मान में विभिन्न सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इन कार्यक्रमों में गुरु के जीवन, उपदेश, और योगदान का सम्मान किया जाता है।

इस प्रकार, गुरू पूर्णिमा एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो गुरु शिष्य परंपरा, ज्ञान की प्राप्ति, आध्यात्मिक संबंध, और गुरु के सम्मान में सार्वजनिक कार्यक्रम का महत्वपूर्ण संकेत है। यह हमें आध्यात्मिकता और अनुशासन की महत्वता को समझाता है और हमें सत्य की ओर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।

गुरु पूर्णिमा कब मनाई जाती है

गुरू पूर्णिमा हर साल भारतीय हिन्दू पंचांग के अनुसार श्रावण मास के पूर्णिमा दिन मनाई जाती है। इस त्योहार का आयोजन श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को होता है जो आमतौर पर जुलाई या अगस्त महीने में पड़ती है। इस दिन छात्र अपने गुरु के प्रति आभार व्यक्त करते हैं और उनके मार्गदर्शन में प्रगति का संकल्प लेते हैं। गुरू पूर्णिमा का आयोजन देश भर में धार्मिक और सामाजिक आयोजनों के रूप में किया जाता है, जहां लोग गुरु के आदर्शों और उनके योगदान का सम्मान करते हैं।

गुरु पूर्णिमा 2023 में कब है

गुरु पूर्णिमा सन 2023 में जुलाई की 3 तारीख को है, जी हां 3 तारीख को ही आषाढ़ महीने की पूर्णिमा है. जिस दिन को गुरु पूर्णिमा भी कहा जाता है. मुहूर्त की बात करने तो 2 जुलाई को 08:21 से यह शुरू होगी और 3 जुलाई को 05:08 मिनिट पर यह समाप्त हो जाएगी. इसलिए इसे 3 तारीख को पूरा दिन ही मनाया जायेगा.

गुरु पूर्णिमा वर्ष 2023 तिथि एवं शुभ मुहूर्त

2 जुलाई08.21 सुबह से शुरू
3 जुलाई 05.08 शाम पर समाप्त

गुरु पूर्णिमा कैसे मनाई जाती है

गुरू पूर्णिमा को इस तहर मनाई जाये-

  1. गुरु पूजा करें: गुरू पूर्णिमा के दिन आप अपने गुरु की पूजा करें। इसके लिए, आप उनकी मूर्ति या फोटो के सामने बैठकर उन्हें अपने मन से आदर्श करें। आप उन्हें पुष्प, दीप, और नैवेद्य के रूप में अर्पित कर सकते हैं।
  2. गुरु के बारे में स्मरण करें: गुरू पूर्णिमा के दिन गुरु के बारे में स्मरण करें और उनके योगदान को याद करें। आप उनकी शिक्षाओं, मंत्रों, उपदेशों को पढ़ सकते हैं और उनके जीवन के महत्वपूर्ण क्षणों के बारे में अध्ययन कर सकते हैं।
  3. गुरु की कथा या सत्संग में भाग लें: गुरू पूर्णिमा के दिन सत्संग आयोजित किया जाता है, जहां आप गुरु की कथा सुन सकते हैं और उनके उपदेशों को सुनने का अवसर प्राप्त कर सकते हैं। इसमें भाग लेने से आपको आध्यात्मिक ज्ञान और प्रेरणा मिलेगी।
  4. गुरु के आदर्शों का अनुसरण करें: गुरू पूर्णिमा के दिन, अपने गुरु के आदर्शों का अनुसरण करने का संकल्प लें। आप उनके सिद्धांतों और उपदेशों को अपने जीवन में अमल में ला सकते हैं। यह आपको आध्यात्मिक और नैतिक विकास में मदद करेगा।
  5. गुरुभक्ति का प्रदर्शन करें: गुरू पूर्णिमा के दिन, अपनी गुरुभक्ति का प्रदर्शन करें। आप अपने गुरु के लिए प्रणाम करें, उनकी सेवा करें और उनके उपदेशों के अनुसार जीवन जिएं।

इन कदमों का पालन करके आप गुरू पूर्णिमा को एक आदर्शित और आध्यात्मिक तरीके से मना सकते हैं। इस तरह, आप अपने गुरु की महिमा को समर्पित करते हैं और उनके द्वारा दिए गए मार्ग पर चलने का संकल्प लेते हैं।

गुरु एवम व्यास पूर्णिमा

ऐसी मान्यता है कि इस तरह के किसी एक आसाढ़ पूर्णिमा दिन महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था. उस समय एक महान ऋषि, वेद व्यास नामक ज्ञानी आए। वेद व्यास ने अपना ज्ञान मानवता के लिए व्यक्त किया और मानवता के लिए एक गुरु की उपस्थिति की आवश्यकता बताई। तो उन्ही के नाम पर इसे व्यास पुर्णिमा (vyasa poornima) भी कहा जाता है. इन्हीं ने समस्त मानव जाति को पहली बार वेद का ज्ञान दिया था. पहली बार वेद दर्शन मानव जाति के मध्य लाने की वजह से इनको प्रथम गुरु का दर्ज़ा दिया गया. तब से इस दिन इनके जन्म दिवस के उपलक्ष्य पर गुरुपूर्णिमा का त्यौहार मनाया जाता है